
बॉन्ड (bonds) एक ऋण प्रतिभूती है जिसे एक फिक्स्ड आय प्रतिभूती के रूप में भी जाना जाता है। बॉन्ड किसी निगम, कंपनी या सरकार द्वारा जारी किया जाता है ये धन की आवस्यकता होने भी बाजार से धन जुटाने के लिए किया जाता है, ये भी शेयर बाजार की तरह ही होता है पर इसमें मुख्य अंतर ये है की बॉन्ड में कम्पनी या निगम बाजार से पैसा ऋण के रूप में लेता है जिसपर की उन्हें एक फिक्स्ड व्याज देना पड़ता है जबकि शेयर बाजार में कम्पनी अपनी हिस्सेदारी को बेचती है।

बॉन्ड जारी करने वाली कम्पनी या निगम के बॉन्ड को एक्सचेंज के द्वारा ही बेचा जाता है। निवेश में कम रिस्क लेने वाले लोग या टैक्स बचने के लिए अपना पैसा बॉन्ड में निवेश करना पसंद करते है क्यों की इसमें एक फिक्स्ड आय की गारेंटी होती है। और निवेश किये गए पैसो पर किसी भी प्रकार का रिस्क नहीं होता है।
बॉन्ड (bonds) कितने प्रकार के होते है –
मुख्यतः बॉन्ड को उनकी प्रवर्ति के अनुसार 7 प्रकार में विभाजित किया जा सकता है जो की निन्मलिखित है।
पब्लिक सेक्टर के उपक्रम बॉन्ड:
पब्लिक सेक्टर के उपक्रम बॉन्ड को पब्लिक सेक्टर कंपनियों के द्वारा जारी किये जाते है जो की माध्यम या लम्बी अवधि के हो सकते है। जिनकी परिपक्वता अवधि काम से काम 5 साल से 7 साल या ऐसे ज्यादा हो सकती है। चुकी ये पब्लिक सेक्टर कंपनियों के द्वारा जारी किये जाते है जो की सरकार के अधीन रहती है इसलिए लोग इस पर ज्यादा विश्वास जताते है।
कॉर्पोरेट बॉन्ड:
कॉर्पोरेट बॉन्ड (bonds) एक कॉर्पोरेशन (निगम) के द्वारा जारी किये जाते है इसमें एक सुविधा ये भी होती है की इसमें आप को बीच बीच में एक समय अवधि का ब्याज कॉर्पोरेशन द्वारा दिया जाता है बाकी का ब्याज और मूलधन को कॉर्पोरेशन समय अवधि के अंत में देता है।
वित्तीय संस्थाएं एवं बैंक:
वित्तीय संस्थाओं जैसे की बैंक, प्रतिभूति निगम, LIC आदि के बॉन्ड को इस श्रेणी में रखा जाता है। इस श्रेणी के बॉन्ड का विनिमय अच्छी तरह से होता है साथ ही ये उनकी गुणवत्ता अनुसार रेटिंग के साथ आते है। इसलिए बड़े निवेशक इस श्रेणी के बॉन्ड में पैसा लगाना पसंद करते है।
टैक्स सेविंग बॉन्ड:
टैक्स सेविंग बॉन्ड की परिपक्ता सीमा लम्बे समय की होती है इसमें बॉन्ड धारक को इनकम टैक्स धरा 80C के तहत टैक्स में छूट दी जाती है। ये व्यक्तिगत कर डाटा जो की लम्बे समय के लिए निवेश करना चाहते है उनके लिए बिलकुल उपयोक्त है।
जीरो-कूपन बॉन्ड:
जीरो-कूपन बॉन्ड को एक बड़ी छूट के साथ बेचा जाता है जो की फेस वैल्यू से काफी काम होती है इसके अलावा वापसी के समय ऐसे फेस वैल्यू पर ख़रीदा जाता है। जीरो कूपन बॉन्ड को जेड बॉन्ड के रूप में भी जाना जाता है।
परिवर्तनीय बॉन्ड:
परिवर्तनीय बॉन्ड बॉन्ड कम्पनी द्वारा जारी किये जाते है जिसका मूल्य और संख्या परिवर्तनीय रहती है जो की इक्विटी शेयर्स के निवेश के अनुसार बदलती रहती है।
अंतर्राष्ट्रीय बॉन्ड:
ये बॉन्ड विदेशी मुद्रा में, विदेशों में जारी किये जाते हैं। जो कि बॉन्ड निवेशकों के बड़ी क्षमता वाले बाजार का प्रतिनिधित्व करते हैं।
फेस वैल्यू क्या है
बॉन्ड (bonds) की फेस वैल्यू वह वैल्यू होती है जिसे बॉन्ड जारी करने वाली निगम या कंपनी के द्वारा बॉन्ड धारक को बॉन्ड की परिपक्वता पर चुकाया जाता है। कर एक कंपनी ये निगम के अनुसार उनके बॉन्ड की फेस वैल्यू भी भिन्न भिन्न होती है। सामान्यतः नया जारी किया गया बॉन्ड उसकी फेस वैल्यू पर बिकता है पर कभी कभी ये उसकी फेस वैल्यू से काम या ज्यादा डरो पर भी बिक सकता है। अगर बॉन्ड की दर उसकी फेस वैल्यू से अधिक है तो उसे प्रीमियम बिक्री कहते है और अगर काम है तो उसे सममूल्य व्यापार कहते है।
बॉन्ड परिपक्वता अवधि
बॉन्ड परिवक्ता अवधि की निश्चित नहीं किया जा सजता है इसकी अधिकतम अवधि तो निश्चित रहती है पर कमपनी या निकाय बॉन्ड का पूर्ण भुक्तं करके बॉन्ड को कभी भी वापस ले सकती है। इसी कारण बॉन्ड की परिपक्ता अवधि हर दिन के अनुसार बदलती है।
कूपन राशि क्या होती है –
कूपन राशि कम्पनी द्वारा नियमित समय अंतराल (मुख्यतः अर्ध-वार्षिक) पर बीच बीच में भुक्तान किया गए व्याज को कहते है। इसी चुके गई राशि को जब फेस वैल्यू के रूप में व्यक्त किया जाता है उसे हम कूपन रेट के रूप में व्यक्त करते है।