
इस पोस्ट में हम मुद्रास्फीति यानि इन्फ्लेशन (Inflation meaning in Hindi) के बारे में जानेगे की ये होता क्या है. और इसे हम कैसे नापते है।
हम ने कई बार सुना है मुद्रास्फीति (Inflation) की दर बढ़ती जा रही है. पर अधिकतर लोगो को यहाँ पता नहीं होता की आखिर है Inflation होती क्या है तथा इस की दर में कैसे वृद्धि होती है।
इसके बढ़ने तथा कम होने के कारण कौन कौन से है? तथा मुद्रास्फीति (Inflation) का असर देश की अर्थ व्यवस्था पर क्या होता है. इन सभी प्रश्नो के उत्तर हम इस पोस्ट में देने की कोशिश करेंगे. और पता करेंगे की आखिर इन्फ्लेशन होती क्या है।
इन्फ्लेशन यानि मुद्रास्फीति (Inflation hindi meaning ) क्या है?
अगर हम मुद्रास्फीति यानि इन्फ्लेशन (inflation) का शाब्दिक अर्थ हिंदी में जाने (meaning in hindi) तो इस शब्द का सीधा अर्थ महंगाई से है. अर्थात महंगाई की बढ़ती घटती दर को हम इन्फ्लेशन यानि मुद्रास्फीति कहते है। देश की इन्फ्लेशन रेट उस देश की महंगाई दर को बताता है भारत में इन्फ्लेशन की दर को Ministry of Commerce and Industry को द्वारा कैलकुलेट किया जाता है।
मुद्रास्फीति की दर को वस्तु के अनुपात में खरीदार की संख्या और खरीदार के अनुपात में वस्तु की उपलब्धता से निकली जाती है. ये थोड़ा उलझन भरा जवाव हो गया इन्फ्लेशन का मीनिंग हम आसान भाषा में एक उदहारण से समझते है।
इन्फ्लेशन का उदहारण (Inflation example) – आप ने कई बार अपने बुजुर्गो से सुना होगा की हमारे समय 100 रूपए में हम इतनी वस्तु खरीद लेते है वही वस्तु आज 1000 रूपए में या 5000 रूपए में आती है. अर्थात आज उस समय की तुलना में हमें उतनी ही वस्तु जो की 100 रूपए में मिलती थी आज 1000 रूपए में मिलती है।
अर्थात जितनी पहले की तुलना में आज वस्तु का भाव है उसी भाव के अंतर के वार्षिक औसत को इन्फ्लेशन की दर कहते है
मानलो किसी विक्रेता के पास 10 किलो शक्कर है और वो 10 लोगो को उस शक्कर को बेच रहा है. अब इस शक्कर के मूल्य में 2 प्रकार से वृद्धि हो सकती है यानि इन्फ्लेशन या मुद्रास्फीति की दर बढ़ सकती है।
पहली वजह अगर उन 10 लोगो के पास ज्यादा रूपए आ जाये जिससे वे ज्यादा शक्कर ख़रीदेंगे इस कंडीशन में विक्रेता अपनी वस्तु यानि अपनी शक्कर का मूल्य बड़ा देगा क्यों की उसके पास शक्कर तो सिमित है पर लोग उसे ज्यादा खरीदना चाहते है।
दूसरी वजह अगर खरीदने वाले लोग बढ़ जाये यानि शक्कर तो 10 किलो ही है पर लेने वाले 100 हो जाये तो भी शक्कर का मूल्य बढ़ जायेगा. ये एक छोटा उदहारण है जो सिर्फ एक दुकान तक सिमित है इसी प्रकार देश के लोगो की क्रय सकती ज्यादा होने पर वे चीजों को ज्यादा और अनुपयोगी चीजों को भी खरीदने लगते है तो बेचने वाले या फिर उस वस्तु को बनाने वाले या किसी प्रकार की सर्विस देने वाले लोग उसकी कीमत में वृद्धि कर देता है।
अगर हम किसी देश में इन्फ्लेशन कैसे बढ़ती या घटती है. इसको समझे तो इसके लिए हमे एक उदहारण लेना होगा –
आओ हम किसी देश मुद्रास्फीति (Inflation) को आसान शब्दो में उदहारण के साथ समझते है। मान लीजिये 100 लोगो का एक देश है. और उसे देश में कुल 100 रूपए है मतलब हर एक के पास 1 रूपए उन्ही लोगो में कुछ लोग राशन बेचते है और राशन की संख्या निश्चित है।
अभी सब की क्रय सकती 1 रूपए है अगर हम उस देश में 100 रूपए और बड़ा दे तो हर एक की क्रय सकती 2 रूपए हो जाएगी पर राशन तो निश्चित है. इस स्थिति में खरीदने वाले ज्यादा खरीदेंगे पर राशन की मात्रा तो पहले के बराबर ही ही तो राशन वाला अपने राशन की कीमत बड़ा देगा जिससे की रूपए की कीमत कम हो जाएगी तथा महंगाई बढ़ जाएगी।
इसी लिए पहले हमारा रूपया महंगा था मतलब उसकी कीमत एक डॉलर एक रूपए के बराबर था आज इन्फ्लेशन के बढ़ाने के कारण एक डॉलर की कीमत 70 रूपए हो गई है. यही इन्फ्लेशन का मीनिंग (Inflation Meaning in Hindi) है। इस उदहारण में मुद्रास्फीति को समझाने की कोशिश की है आसा है आप को समझ आया होगा।
मुद्रास्फीति के प्रकार (type of inflation)
इन्फ्लेशन या मुद्रास्फीति के मुख्य रूप से 2 प्रकार होता है. जो की उनके जन्म लेने के कारण से होते है –
- मांगजन या मांग की अधिकता के कारण मुद्रास्फीति
- सप्लाई में कमी से मुद्रास्फीति
मांगजन मुद्रास्फीति (Inflation due to demand) –
यह मुख्यतः सरकारी खर्चों में वृद्धि के कारण होती है जब सरकार गैर जरुरी योजनाओ में पैसे लगाती है, जिससे सरकार द्वारा घाटे का बजट पेस किया जाता है. सरकार इस घाटे को पूरा करने के लिए ज्यादा करंसी छापती है जिससे लोगो के पास लिक्विडिटी यानि पैसा ज्यादा हो जाता है और उनकी क्रय छमता बढ़ जाती है जिससे खरीदने वाले ज्यादा हो जाते है पर वस्तु की स्थित पहले जितनी ही रहती है।
सप्लाई में कमी से मुद्रास्फीति (Inflation due to less Supply) –
जब किसी वस्तु की मांग बढ़ने पर भी उसकी सप्लाय में कोई वृद्धि नहीं होटी तब इस तरह की मुद्रास्फीति (इन्फ्लेशन) पैदा होती है इस स्थिति में वस्तु की कीमत बढ़ जाती है. जिससे महंगाई दर बढ़ जाती है। ये निम्न करने के कारण होती है।
जमाखोरी के कारण – जमा खोर लोग इस तरह की स्थिति पैदा कर के उस वस्तु का भाव बढ़ाते है इसमें लोगो की रोजमर्रा की जरुरत की चीजी को जमाखोरी की स्थिति में उस वस्तु की कीमतों में इजाफा हो जाता है. और इन्फ्लेशन की दर में भी बढ़ोतरी होती है।
प्राकृतिक आपदा के कारण – प्राकतिक आपदा की स्थिति में भी इन्फ्लेशन की दर बढ़ती है इस स्थिति में लोगो की बेसिक जरुरत की चीजों की आपूर्ति में कमी आ जाती है. जिससे की उसकी कीमतों में इजाफा हो जाता है जैसे हाल ही में कोरोना काल में हुआ जब लॉकडाउन के कारण चीजों की आपूर्ती में कमी आई और जो वस्तु उपलब्ध थी उनको लोगो में ज्यादा दाम में बेचा।
लागत में बढ़ोतरी की स्थिति में भी मुद्रास्फीति की दर में बढ़ावा होता है क्यों की ये स्थिति तब पैदा होती है जब कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी होती है।
सरकार द्वारा अप्रत्यक्ष कर बढ़ाये जाने पर – अगर सरकार द्वारा वस्तुओ पर अप्रत्यक्ष कर उनकी लगत मूल्य से भी ज्यादा लगाया जाता है तब भी इन्फ्लेशन की दर में बढ़ोतरी होती है।
मुद्रास्फीति दर (inflation rate) को कैसे निकला या गड़ना की जाती है –
मुद्रास्फीति या inflation की दर की गड़ना करने के लिए सरकार ने कुछ पैमाने बना रखे है जिसके अनुसार सरकार हर तिमाही और वार्षिक नतीजों के आधार पर inflation की दर बताती है की विगत वर्ष में inflation की दर क्या है. जिसके लिए पहले से निर्धारित वस्तुओ और सेवाओं (services) का पहले का थोक मूल्य और बाद के थोक मूल्य में हुए परिवर्तन को देखा जाता है. और उसे पहले से निर्धारित पैमाने पर नापा जाता है जिसे प्राइस इंडेक्स यानि थोक मूल्य सूचकांक(Wholesale Price Index) कहते है. इसमें सभी जरुरत की जीचों और सेवाओं की कीमत को आधार माना जाता है जैसे खाद्य सामग्री, ईंधन, धातुएं सोना कॉपर के साथ साथ अचल संपत्ति के मूल्य, कम्पनियो के बांड और शेयर , सर्विसेज जैसे स्वास्थ,मनोरंजन आदि सभी को पैमाना मान के शामिल किया जाता है।
इन्फ्लेशन (मुद्रास्फीति) से हानि –
- इन्फ्लेशन के कारण लोगो की क्रयशक्ति में कमी आती है।
- प्रतिव्यक्ति आय काम हो जाती है।
- चीजों की बड़ी हुई कीमती के कारण निम्न वरिवारो के लोगो पर नकारात्मक असर होता है।
- दूसरे देशो से वस्तुओ का आयत महंगा हो जाता है।
- रोजगार में कमी आती है।
- आमिर और गरीब लोगो में आर्थिक अंतर और ज्यादा बढ़ जाता है देश में समानता का भाव ख़त्म होता है।
- देश के द्वारा लिए गए कर्जो की अदायगी में एक बड़ी रकम जाती है। जिससे देश के ऊपर आर्थिक भर बढ़ता है।
इन्फ्लेशन (मुद्रास्फीति) से होने वाले लाभ
- मुद्रास्फीति (इन्फ्लेशन) का लाभ सबसे ज्यादा व्यापारी तथा उत्पादक वर्ष जैसे फैक्ट्री मालिक और कृषक जो की अन्य का उत्पादन करते है उन्हें होता है. क्यों की उत्पादन तो उसी मात्रा में होता है पर उस सभी वस्तुओ की कीमत में बढ़ोतरी होती है जो उन्हें ज्यादा दाम मिलते है।
- निवेशक वर्ष जिन्होंने अपना पैसा निवेश कर रखा है जैसे शेयर मार्केट में म्युचुअल फण्ड में उन्होंने पुरानी दर पर निवेश किया पर उनके निवेश की कीमत में बढ़ोतरी होती है. और उन्हें अच्छा रिटर्न प्राप्त होता है।
- इससे सबसे ज्यादा कर्जदाताओं को फायदा होता है मानलो किसी ने होम लोन 10% वार्षिक दर से लिए और इस साल इन्फ्लेशन की दर 6% रही तो कैलकुलेशन के हिसाब से उनको सिर्फ 4% ही ब्याज देना पड़ा।
नोट : इन्फ्लेशन का मीनिंग (inflation meaning in hindi) आप समझ गए होंगे पर इन्फ्लेशन से किसी भी देश और वह रहने वाले लोगो को नुकसान ही होता है क्यों की इसमें प्रत्यक्ष रूप से लाभ है. तो आप को अप्रत्यक्ष रूप से अन्य वस्तुओ में घटा होगा।