fixed vs floating home loan in hindi
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अगर आप होम लोन ले रहे है तो आप ने होम लोन ब्याज दर में फिक्स्ड ब्याज दर और फ्लोटिंग ब्याज दरों के बारे में सुना होगा पर हमे समझ नहीं आता है. की ये फिक्स्ड और फ्लोटिंग ब्याज दरों में क्या अंतर होता है. फिक्स्ड ब्याज दर आप के होम लोन पर एक स्थाई दर है जो की शुरू से लेकर आखिर तक एक सामान रहती है. जबकि फ्लोटिंग ब्याज दर समय के अनुसार बदलती रहती है जो की आरबीआई द्वारा रिवर्स रेपो दर पर निर्भर करती है. जैसे ही आरबीआई द्वारा रिवर्स रेपो बदली जाती है बैंक भी होम लोन पर लगने वाली ब्याज दर में बदलाव करता है ये हर तीन महीने में की जाती है।

यदि आप भी होम लोन लेना चाहते है और सोच रहे है की आप के होम लोन में कौन सी दर (फिक्स्ड या फ्लोटिंग) सही रहेगी तो हम इस पोस्ट में आप को पूरी जानकरी देंगे।

फिक्स्ड होम लोन ब्याज दर (Fixed home loan)

फिक्स्ड ब्याज दर जैसा की इसके नाम से ही पता चलता है इसमें होम लोन के पुरे देयक कार्यकाल में ब्याज दर सामान रहती है. यह फ्लोटिंग ब्याज दर वाले होम लोन से उलट है. इसमें रेपो रेट बदलने पर ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं आता है. जिस कारण ब्याज दर के कम होम पर आप को कम हुई ब्याज दर का फायदा नहीं मिल पता और बड़ी ब्याज दरों में आप को नुकसान भी नहीं होता है.

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फिक्स्ड रेट होम लोन के फायदा

अगर आप फिक्स्ड ब्याज दर चुनते है तो आप को इसका सबसे बड़ा फायदा आरबीआई द्वारा रेपो रेट की दरे बढ़ाये जाने पर होता है जब आरबीआई रेपो रेट की ब्याज दरे बढ़ाते है तो होम लोन की ब्याज दरे भी बढ़ती है इस स्थिति में आप को ज्यादा पैसो का भुगतान करना पड़ता है और आप के द्वारा तय की गई समय सिमा में फिक्स EMI पर वो पैसा चूक नहीं पाता है तो फिक्स्ड ब्याज दर उनके लिए सही है जो रेपो रेट के उतार चढ़ाव को पसंद नहीं करता है और एक तय समय सीमा में अपने कर्ज को चुकाना चाहते है.

फिक्स्ड रेट होम लोन के नुकसान

फिक्स्ड रेट होम लोन का सबसे बड़ा नुकसान ये है की आम तोर पर इसकी ब्याज दर फ्लोटिंग ब्याज दर से 1.5% -2% अधिक ही रहती है उदाहर के लिए हाल ही में मार्केट में होम लोन की फ्लोटिंग बाज दर 9% चल रही है है तो फिक्स्ड होम लोन की ब्याज दर 10.5% से 11% तक होगी। ये उस स्थिति में सही है जब आप को लग रहा है की होम लोन दरे बढ़ाने वाली है तब आप होम लोन में फिक्स्ड ब्याज दर का विकल्प चुन सकते है। इसके अलावा होम लोन में एक और विकल्प आता है जिमे आप को कुछ समय के लिए फिक्स्ड होम लोन ब्याज दर मिलती है पर थोड़े दिनों के बाद वो फ्लोटिंग ब्याज दर हो जाती है.

फ्लोटिंग रेट होम लोन (floating home loan)

फ्लोटिंग होम लोन ब्याज दर में होम लोन की ब्याज दर समय के साथ बदलती रहती है ये आम तौर पर रेपो रेट पर निर्भर करती है अगर आरबीआई रेपो रेट बढ़ती है तो होम लोन की ब्याज दर भी बढ़ती है अगर आरबीआई रेपो रेट कम करती है तो आरबीआई की होम लोन ब्याज दर भी कम होती जाती है। आरबीआई द्वारा हर 3 महा में रेपो रेट को कम या ज्यादा किया जाता है जिसका सीधा असर होम लोन व अन्य लोन स्कीम्स पर पड़ता है।

फ्लोटिंग ब्याज दर के फायदे

फ्लोटिंग होम लोन रेट में सबसे बड़ा फायदा ये होता है की फिक्स्ड रेट की तुलना में इसका होम लोन इंटरेस्ट रेट हमेसा 1.5% – 2% कम होता है. जिससे आरबीआई द्वारा होम लोन की दर 1.5% – 2% बढ़ाने पर भी आप की दर फिक्स्ड होम लोन के सामान ही होगी इसके विपरीत अगर आरबीआई ने होम लोन दर कम कर दी तो आप की होम लोन दर भी कम हो जाएगी जिसका सीधा असर आप की EMI पर पड़ेगा और आप की EMI भी कम हो जाएगी।

फ्लोटिंग ब्याज दर नुकसान

फ्लोटिंग रैट वाले होम लोन में सबसे बड़ा नुकसान आरबीआई द्वारा अधिक मात्रा रेपो रेट दर बढ़ाये जाने पर होता है जिससे आप की ब्याज दर बड जाती है और इसका सीधा असर आप की EMI और आप के होम लोन टेन्योर पर पड़ता है क्यों की दर बढ़ने से आप की EMI के साथ साथ आप के होम लोन की समय सीमा भी बड जाती है इस प्रकार आप को आप की तय राशि से अधिक राशि देना होगी साथ ही आप को पैसो के साथ साथ समय का नुकसान भी होगा ।

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