
Debenture (ऋण पत्र) क्या होते है Debenture का मीनिंग हिंदी में क्या है एवं कितने प्रकार के होते है। शेयर एवं डिबेंचर में अंतर क्या है? ऐसे कई प्रकार के सवाल है जो लोग डिबेंचर (Debenture ) के बारे में जानना चाहते है। और सबसे कॉमन सवाल है Debenture का हिंदी मतलब क्या होता है? तो आइये हम इस सभी प्रश्नो के उत्तर इस पोस्ट में जानने की कोशिस करते है।
सबसे पहले Debenture को हिंदी में क्या कहते है तो इसको हिंदी में ऋण पत्र कहते है अर्थात कर्ज। आओ इसे हम सरल शब्दों में समझते है मान लीजिए किसी कम्पनी को अपना व्यापर बढ़ाने के लिए धन की आवस्यकता है तब वह धन जुटाने के लिए शेयर जारी कर सकती है लेकिन अगर कंपनी अपनी हिस्सेदारी न बाटना चाहे क्यों की शेयर इशू करना एक तरह से कम्पनी की हिस्सेदारी बेचना है तब वह कम्पनी बैंक से लोन ले सकती है या फिर पब्लिक से पैसे उधार मांग सकती है।
अगर कंपनी लोगो से उधार या ऋण मांगने का फैसला करती है तो इसके लिए कंपनी एक प्रमाण पत्र जारी करना होता है जिसे ऋण पत्र या Debenture कहा जाता है जिसके जरिये वह कुछ सालो के लिए अपने व्यापर को बढ़ाने के लिए पैसे उधार मांग सकती है। debenture एक तरह से कंपनी की गारंटी होती की कम्पनी समय सीमा समाप्त होने पर ब्याज सहित उस व्यक्ति का पैसा वापस करेगी।
यह डिबेंचर एक निश्चित अवधी के लिए दिए जाते है और इन पर ब्याज की दर भी पहले से निश्चित होती है डिबेंचर धारक कंपनी को कर्ज देते है अतः वह क्रेडिटर्स होते है।
कोई भी डिबेंचर, कंपनी की आम मुहर के द्वारा जारी किये जाते है जिस पर कंपनी की फेस वैल्यू लिखी होती है।
कंपनी द्वारा इस डिबेंचर पर ब्याज की दर ब्याज देने का तरीका और डिबेंचर कितने समय के लिए दिया जा रहा है एवं निवेशक का मूलधन कितने समय में वापस होंगे यह सब डिबेंचर ( ऋण पत्र) पर लिखा होता है।
निवेशक किसी भी कंपनी का डिबेंचर कंपनी की वैल्यू तथा रेपो देखकर खरीदता है कि कंपनी तय समय सीमा में ब्याज के साथ मूलधन वापस करने में समर्थ है या नहीं और उसका बिज़नेस किस प्रकार का है जिससे वह मुनाफा कमा पाए।
जैसे कोई ऋण दाता ऋण देते समय यह अनुमान लगता है कि सामने वाला व्यक्ति मेरा धन वापस करने में समर्थ है या नहीं इसी प्रकार डिबेंचर लेने वाले व्यक्ति भी कंपनी के बिज़नेस को देखकर यही अनुमान लगा कर अपने पैसे लगाते है।
डिबेंचर धारको को कंपनी की आम बैठकों में शामिल होने का मौका नहीं दिया जाता जैसे की शेयर धारको को दिया जाता है उन्हें सिर्फ डिबेंचर से जुड़े मामलों में वोट देने का अधिकार होता है।
सबसे पहले कंपनी द्वारा डिबेंचर तैयार किया जाता है इसके बाद कपनी एक ट्रस्ट बनती है जो की निवेशकों के हितो का ध्यान रखता है यह ट्रस्ट ब्याज की दर निश्चित करता है जिसे डिबेंचर कूपन दर (Debenture Coupon Rate) कहा जाता है यह दर निश्चित वा अनिश्चित दोनों हो सकती है।
यह तय है की डिबेंचर धारको को कंपनी के बिज़नेस में लाभ या हानि से कोई फर्क नहीं पड़ता क्यों कि कंपनी निवेशकों को लाभांश देने से पहले उसके द्वारा जारी किये गए डिबेंचर्स पर निश्चित ब्याज की रकम को अदा करती है।
यदि कंपनी को अधिक लाभ हो तब भी डिबेंचर्स धारक को उतनी ही राशि दी जाती है जितना कि पहले से ब्याज दर में तय कि जाती है।
डिबेंचर्स एक तय समय सीमा के लिए दिए जाते है और समय सीमा समाप्त होने पर डिबेंचर धारक को पूरा पैसा लोटा कर इशू किये गए डिबेंचर्स को रद्द कर दिया जाता है।
कंपनी एक्ट 2013 के अनुसार डिबेंचर की अधिकतम समय सीमा 10 साल के लिए होती है, चुकी डिबेंचर एक ऋण पत्रक है जैसा कि एफडी, इस पर आप को एफडी के सामान ही ब्याज मिलता है और बैंक एफडी से ज्यादा मिलता है इस कारण Debenture (ऋण पत्रक) को एक सुरक्षित साधन माना जाता है।
इस कारण कई लोग शेयर कि जगह Debenture (ऋण पत्रक) में निवेश करते है यदि कंपनी किसी कारणवस बंद होने की कगार पर हो तब भी वह डिबेंचर्स का पैसा वापस लोटती है।
Debenture (ऋण पत्रक) की विशेषताएं
डिबेंचर (Debenture) अर्थात ऋण पत्रक की विशेषताएं कि बात कि जाये तो इसकी कई विशेषताएं इनमे से कुछ निम्न लिखित है –
- डिबेंचर कंपनी द्वारा जारी किया गया एक प्रमाण पत्र होता है जिस पर कंपनी की मुहर होती है जिस पर मूलधन, ब्याज की दर वा ऋण वापस करने का तरीका लिखा होता है।
- डिबेंचर उधार ली गयी राशि का भाग होता है डिबेंचर धारक कंपनी के क्रेडिटर्स होते है।
- डिबेंचर एक लिखित दस्तावेज होता है जो कंपनी द्वारा अपने निवेशकों के लिए जारी किया जाता है जिस पर लोन वा उधार की जानकारी होती है।
- डिबेंचर लम्बी अवधी के लिए जारी एक वित्तीय स्रोते होते है जो की साधारणतः 10 साल के लिए जारी किये जाते है।
- डिबेंचर धारक एक निश्चित ब्याज दर पाने के योग्य हो जाते है इस ब्याज दर को कूपन रेट (Debenture Coupon Rate) कहा जाता है ।
- यदि कंपनी डिबेंचर्स का पैसा वापस नहीं लौटाती तो वह डिबेंचर धारक कंपनी पर केस कर सकता है।
- कंपनी को चाहे लाभ हो या हानि उसे डिबेंचर धारक का पैसा वापस लौटना होता ही है ।
डिबेंचर के प्रकार [Type Of Debenture]
सामन्यतः डिबेंचर (Debenture) अर्थात ऋण पत्रक को उनके प्रकार तथा माध्यम के आधार पर वर्गीकृत किया गया है अगर हम डिबेंचर प्रकार (Type of debenture) कि बात करे तो वह निम्नलिखित है –
बदले जाने की योग्यता (Transferbility) के आधार पर डिबेंचर के प्रकार
रजिस्टर डिबेंचर Register Debentures – इस प्रकार के डिबेंचर में जो भी व्यक्ति डिबेंचर होल्डर होता है उसकी सारी जानकारी कंपनी के रजिस्टर में लिखित होती है अर्थात वह डिबेंचर सिर्फ उसी व्यक्ति के नाम पर इशू होता है। वह इस डिबेंचर को किसी अन्य को भी ट्रांसफर नहीं कर सकते इसके लिए डिबेंचर होल्डर को कंपनी सीईओ से अनुमति लेनी होती है इस डिबेंचर में जिसके नाम पर डिबेंचर होता है उसी के नाम पर ब्याज मिलता है
अपंजीकृत डिबेंचर (Bearer – Unregistered Debenture) – इस डिबेंचर में डिबेंचर होल्डर की सारी जानकारी कंपनी के रजिस्टर में जुडी नहीं होती है और न ही डिबेंचर कार्ड पर उसका नाम अंकित होता है इस डिबेंचर में जिसके पास डिबेंचर होता है। उसे ही ब्याज का पैसे मिलता है जिसके पास ऋण होता है वही डिबेंचर होल्डर होंगे इसके लिए कंपनी में ट्रांसफर रजिस्टर करना जरुरी नहीं है।
निकासी (Redeembility) के आधार पर डिबेंचर के प्रकार
Redeemable debenture – यह डिबेंचर एक निश्चित अवधी के लिए दिए जाते है और अवधी खत्म हो जाने पर कंपनी डिबेंचर होल्डर को मूलधन वापस लौटाकर डिबेंचर रिडीम कर लेती है।
Irredeemably debenture – इस प्रकार के डिबेंचर को तब तक रिडीम नहीं कर सकते जब तक कंपनी बंद होने की कगार पर न आ जाये भारत में इस प्रकार के डिबेंचर जारी नहीं किये जाते।
सुरक्षा (Secquriaty) के आधार पर डिबेंचर के प्रकार
सुरक्षित डिबेंचर (Secured debenture) – इस प्रकार के डिबेंचर में डिबेंचर होल्डर को कुछ Security दी जाती है यह सुरक्षा कंपनी एसेट आदि के रूप में हो सकती है कंपनी के द्वारा लोन न चुकाया तो वह यह Security बेचकर अपना पैसा वापस ले सकती है।
असुरक्षित डिबेंचर (unsecured debenture) – इस प्रकार के डिबेंचर में बिना Security के पैसा दिया जाता है यह डिबेंचर्स निवेशक कंपनी की साख देखकर खरीदता है यदि कंपनी निवेशक का पैसा वापस नहीं करती तो निवेशक की मूल राशि का नुकसान होता है।
बदल सकने (Convertibility) के आधार पर डिबेंचर के प्रकार
परिवर्तनीय डिबेंचर्स (Convertible debenture) – इस प्रकार के डिबेंचर में डिबेंचर एक निश्चित अवधी के बाद शेयर में कन्वर्ट हो जाते है डिबेंचर जारी होने पर ही शेयर में कन्वर्ट होने के नियम वा शर्ते डिबेंचर होल्डर को बता दी जाती है इस डिबेंचर का लाभ निवेशक तब उठा सकता है जब कंपनी के शेयर अधिकतम उचाई पे हो।
गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर्स (Non-Convertible debentures) – इस प्रकार के डिबेंचर्स परिवर्तनीय डिबेंचर्स से एक दम उलट है इस प्रकार के डिबेंचर्स में एक समय सीमा के बाद भी कंपनी के शेयर में परिवर्तित नहीं होते है।
दोस्तों इस पोस्ट में आप ने Debenture (ऋण पत्र) के बारे में जाना कि ये क्या होते है Debenture का मीनिंग हिंदी में आपको हमे बताया साथ ही इसके कितने प्रकार के होते है। शेयर एवं डिबेंचर में अंतर होता है ये सब आप जान चुके है अगर आप को इस के बारे में कुछ सवाल हो तो आप निचे दिए हुए कमेंट बॉक्स में लिखकर पूछ सकते है हम आप के सरे सवालो का जवाब देंगे धन्यवाद्।